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चेतन मन का अवतार

आज, मानवधर्म को पुनर्स्थापित करने के लिए एक असाधारण मानव विकास कार्यक्रम से परिचित कराना शुरू किया है।


एकमात्र मानवधर्म हमारा सनातन धर्म है। जिस धर्म के अभ्यास के माध्यम से, एक व्यक्ति बहुत ही विकसित, सही मानव बन सकता है, वोही मानव धर्म है।

 

आज इतना दुख - क्लेश के कारण लोग अपने मूल धर्म~ मानवधर्म को भूल गये हैं।
 अज्ञान-अंधों, लालची लोगों, स्वर्ग और नरक के झूठे प्रलोभनों और भय में फंसकर, वह अपने मूल धर्म मानवधर्म को भूलकर भटक गया।

मानव अपने मूल धर्म~ मानवधर्म को भूल गया है। इसलिए, उसे स्व-धर्म में वापस लाने के लिए, आज, मूर्तिविहीन मानव धर्म, मूर्तिमान हुए है 'महाधर्म' के रूप में। महाधर्म को मूर्तिमान मानव धर्म कहा जाता है।

अपने भीतर छिपी हुई चेतना और मानवता को जगाने के लिए, मानवधर्म आधारित मानवविकास कार्यक्रम के आधार पर, एक नये धर्म के आवश्यक हुए है। उसका नाम ~ 'महाधर्म' है।

मानवधर्म हामारा मूल धर्म है। 'महाधर्म' मानव धर्म और युक्ति सम्मत आध्यात्मिकता के आधार पर, आत्म-विकाश तथा मानवविकाश का धर्म है। आधुनिक समय के क्रांतिकारी आंदोलन- वास्तविक मानव विकास के लिए ।
यै हमारा एकमात्र धर्म है, जो धर्म आत्म-विकास और मानवविकास और शांतिपूर्ण जीवन के लिए अभ्यास किया जाता है।

 

मैं जो भी हूँ, असल में मैं एक मानव हूँ, और आत्म-विकाश तथा मानव विकास मेरा मूल धर्म है।
अब इस संकटपूर्ण समय में, केवल सच एवं यूक्ति सम्मत - आध्यात्मिक क्रांतिकारी आंदोलन हमें बचा सकता है।
एक सच एवं यूक्तिसम्मत- आध्यात्मिक उच्च प्रवाह - ज्वार परदे के पीछे से बढ़ रहा है। बस हम अपने खुद के हित के लिए तुरंत इसका स्वागत करना है। स्वल्प चेतना - अज्ञानता और बीमारी सब कष्ट और समस्याओं का मुख्य कारण होते हैं। विज्ञान -टेकनोलजि - राजनीति और व्यापक रूप से प्रचलित धर्मों इसे हल करने में सक्षम नहीं हैं । यह एकमात्र (सच एवं यूक्ति सम्मत आध्यात्मिक आत्म-विकास की विधि के साथ) सच एवं यूक्तिसम्मत अध्यात्मवाद से हल किया जा सकता है।
'महाधर्म' को दुनिया भर में व्यापक स्थापित करने के लिए प्रयासी स्वतंत्र-विचारकगण स्वागत हैं।

'महाधर्म' हमारे मौलिक धर्म –मानव धर्म है! महाधर्म को अपनाने के लिए, यह एक के मौजूदा धर्म का परित्याग करना आवश्यक नहीं है। अपने जीवन का काफी आनंद अपनाने के लिये महाधर्म (महाधर्म) अभ्यास कि जिये, इससे शरीर और मन की सुदृढ़ता– शांति के साथ सार्वभौमिक विकास मिलता है।

 
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महर्षि महामानस
सार कथा:

"आप इंसान हैं यही कारण, कि आपके एक चेतन मन है। फिर भी ये पर्याप्त विकसित नहीं है। आप पर्याप्त रूप से विकसित इंसान होने के लिए, अपने मन को विकसित करने की जरूरत है। यह अपनके मूल धर्म है।"

"आप एक इंसान के रूप में पैदा हुया है; इसलिए, एक पूरी तरह से विकसित इंसान होना अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। अपने जीवन की उद्देश्य के साथ इस जागतिक प्रणाली को पता करने के लिये, अपने आप को हमेशा जाग्रत-चेतन रखने की कोशिश करें। और अपने आप को पूर्ण विकसित इंसान बनाने के लिए सदा कौशिस जारि रखें।"

"जन्म या इच्छा से एक इंसान के रूप में, आप किसी भी मौजूदा धर्म से संबंधित हो सकता है । एक इंसान होने पर, अपने प्रमुख और मौलिक धर्म है मानव धर्म। सच्चे आत्म-विकास की -इस अभ्यास हि महाधर्म है।"

जिस सिस्टम या पथ को पकड़ कर या धारण करने से एक उसकी/अपनी वास्तविकता में अपने आप को महसूस कर सकते हैं, और पूरी तरह से विकसित इंसान बनने के लिये जीवन के उद्देश्य की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं, एवं एक उत्कृष्ट जीवन प्राप्त करने में सक्षम हो सकते है, वहि महाधर्म है।" -महामानस


आपका स्वागत है!
जो लोग सक्रिय सदस्य होना चाहते हैं, और महा-धार्मिक नेताओं होने के लिए इच्छा प्रकाश करते है।
महाधर्म अपनाने के लिए और इस धर्म का अभ्यास करने के लिए, यह एक के मौजूदा धर्म का परित्याग करना अनिवार्य नहीं है। मौजूदा धर्म मे रहकर भि महाधर्म अपना सकते है एवं अभ्यास कर सकते है।
"हम एक शैक्षिक दौरे (एजुकेशनल टूर) पर यहां आए हैं। धीरे-धीरे उच्च से उच्च चेतना लाभ करना ही मानव जीवन के निहित उद्देश्य है। यहां हम धीरे-धीरे ज्ञान अभिग्ञता से समृद्ध हो कर जितना हि चेतना समृद्ध हो सकेगें, उतना हि हम लाभान्वित होगें। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, जब हम यहाँ से दूर चले जायेगें,उस समय हमारे साथ चेतना को अतिरिक्त और कुछ नहीं जायेगा" -महामानस
मानव धर्म हि महाधर्म

सबसे पहले हम 'महाधर्म' क्या है कि समझना होगा। हकीकत में,'महाधर्म' किसी भी धर्म के साथ तुलनीय नहीं है। बिश्वास और ईश्वर इसके मुख्य आधार नहीं है। 'महाधर्म' किसी भी धर्म के साथ खिलाफ या पक्ष मे नहीं है। 'महाधर्म' वर्तमान धर्मों से पूरी तरह से अलग है। इसके बारे में कह रही लायक है -- 'तुम एक इंसान के रूप में पैदा हूया है, इसलिए पूरी तरह से विकसित इंसान बनना, तूमहारे अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। ये ही है 'महाधर्म' ।'

सहि आत्म-विकास कार्यक्रम('महामनन' 'महाधर्म' के व्यावहारिक पहलुओं) के मार्ग का अनुसरण कर उचित मानव-विकास हमारी प्राथमिक धर्म है। ये एक नया धर्म नहीं है-ये हमारे सनातन धर्म हैं। यह लंबे समय तक हमारी अज्ञानता के लिए छिपा हुआ था। हम हमारे जीवन का मूल उद्देश्य --पूरी तरह से विकसित इंसान बनने का उद्देश्य भूल कर, एक मोहावस्था में रह रहे हैं। जो योग महा भक्ति के साथ ('महा आत्म - विकास-योग' या 'महामनन') अभ्यास करने से,हम पूरी तरह से विकसित इंसान बन सकते है वही 'महाधर्म' है। 'महाधर्म' मनुष्य द्वारा बनाई गई और मानव विकास के लिए बनाया गया है।

आप अपने क्षेत्र में या दुनिया भर में इन कार्यक्रमों का आयोजन कर सकते है। प्रत्येक नेता को 'महाधर्म' -मानव विकास कार्यक्रम के लिए समर्पित होना चाहिए।

व्यक्ति के विकास के माध्यम से ही एक देश तथा मानव जाति के विकास संभव है। उस प्रयोजन के लिए , महाधर्म और महामनन कार्यक्रम दुनिया भर में शुरू किया गया है । हम आप अपने सभी की मदद करने के हाथों का विस्तार और सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं इसे सफल बनाने के लिए।

महाधर्म एक जन चेतना कार्यक्रम -- हमारे जीवन के मूल उद्देश्य के बारे में जागरूक मनुष्य बनाने के लिए। महाधर्म किसी भी विश्वास पर निर्भर नहीं है। यह कारण - विज्ञान और आध्यात्मिक विज्ञान पर आधारित है। ये एक आधुनिक समय के महान धार्मिक क्रांति है।

अपना बुनियादी चाहत- शरीर और मन की सुदृढ़ता, शांति और समृद्धि प्राप्त करने के लिए, 'महाधर्म' मानव-विकास का धर्म (मानव धर्म) की उत्कृष्ट प्राकृतिक समारोह के -इस सही तरीके अपनाइये।

गूगलसर्च = महाधर्म, महमनन, महामानस
                                                              महाधर्म का मुख्य बात है: 
"आप मानव हैं, क्योंकि आपके पास चेतन मन है। लेकिन आपका ये चेतन मन अभी तक विकसित नहीं हुआ है। पर्याप्त विकास का आदमी बनने के लिए - आपको इस मन को विकसित करना होगा। और यही आपके प्राथमिक धर्म है।"

"आप एक मानव के रूप में पैदा हुए हैं, इसलिए आपके जीवन का पहला और महत्वपूर्ण लक्ष्य एक पूर्ण विकसित मानव बनना है। जीवन के उद्देश्य से - अपने आप को और इस सांसारिक प्रणाली को जानने के लिए, हमेशा चेतन व सतर्क रहने की कोशिश करें। अपने आप को एक वास्तविक और पूर्ण विकसित व्यक्ति बनाने के लिए प्रयास करें।"

"आप अपनी जन्म या इच्छा के अनुसार जो भी धर्म का आदमी हो, अपनी पहली पहचान - आप एक मानव हैं। एक मानव के रूप में, आपका मुख्य और मौलिक धर्म है - मानवधर्म। और यह मानव धर्म ही 'महाधर्म' है। मुख्य बात, मानवमन को सबसे बड़ी भलाई के साथ विकसित करना है।"

"हम यहां आएं हैं - एक शैक्षिक यात्रा पर। धीरे-धीरे, उच्च और उच्च चेतना प्राप्त करना ही - इस मानव जीवन का अंतर्निहित उद्देश्य। साथ ही, ज्ञान-अनुभव से हम जितनी अधिक जागरूक-समृद्ध बन सकेंगे, हमें उतना ही अधिक लाभ होगा। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से - यहाँ से जाने पर चेतना के अलावा कुछ भी हमारे साथ नहीं जाएगा।                                       

"मनुष्य, जागतिक प्रणालियों की अनुसार, कर्म और भोग के माध्यम से, सुख-दुख-पीड़ा के माध्यम से और विभिन्न कार्य और प्रतिक्रियाओं के माध्यम से ज्ञान और अनुभव प्राप्त करते रहने हैं। जितना ही भोग होता है, उतना ही योग होता है।"

"हम यहां एक शैक्षिक भ्रमण के लिए आये हैं। हमारे ज्ञान और अनुभव के माध्यम से, हमारी चेतना धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है।
अथाह
(unexpressed) चेतना स्तर से पूर्ण चेतना की ओर बढ़ना हमारे जीवन का मुख्य लक्ष्य है।"

"विकास के रास्ते में अनायास आगे बढ़ना ही मानव का स्वभाव धर्म है। यही मानव धर्म है।"

"हम दुनिया की मुक्त पाठशाला मे, समझ और ना समझ में निरंतर शिक्षित होते रहेते हैं। संयोग से, जो हमसे थोड़ा आगे हैं, हम यात्रा को आसान और परेशानी मुक्त बनाने के लिए, विकास को तेज करने के उद्देश्य से, सामने के रास्तों और पर्यावरण, स्थिति आदि के बार मेे उनसें शिक्षा लाभ करते हैं।" 

पारंपरिक धर्मों और भ्रामक धर्म-व्यापारियों ने हमें हमारे बेहोश-अंधापन, असहायता और भय और लालच के दायरे में ले कर, उनके अमान्उ हितों को संतुष्ट करने के लिए, जीवन के मुख्य रास्ते से हटाकर हमें गुमराह किया है।

अगर दुनिया में कोई पारंपरिक धर्म नहीं होता, तो लोग विकास की राह में बहुत आगे बढ़ सकते थे। दुनिया में इतनी समस्या नहीं होती थी। लोगों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।

इस विस्मृत मानवधर्म को पुनर्स्थापित करने के लिए, लोगों को अपनी मूल धारा में वापस लाने के लिए, लोगों को अचेतन-अंधापन, अंध विश्वास से मुक्त करने और उन्हें रोशन करने के लिए, 
आज मानवधर्म, तर्क और विज्ञान के आधार पर एक नया धर्म पेश किया गया है। इस धर्म का नाम है ~ 'महाधर्म'। मानव धर्म ही 'महाधर्म' हैं।
अब इस संकटपूर्ण समय में, केवल सच एवं यूक्ति सम्मत - आध्यात्मिक क्रांतिकारी आंदोलन हमें बचा सकता है। एक सच एवं यूक्तिसम्मत- आध्यात्मिक उच्च प्रवाह - ज्वार परदे के पीछे से बढ़ रहा है। बस हम अपने खुद के हित के लिए तुरंत इसका स्वागत करना है। स्वल्प चेतना - अज्ञानता और बीमारी सब कष्ट और समस्याओं का मुख्य कारण होते हैं। विज्ञान -टेकनोलजि - राजनीति और व्यापक रूप से प्रचलित धर्मों इसे हल करने में सक्षम नहीं हैं । यह एकमात्र (सच एवं यूक्ति सम्मत आध्यात्मिक आत्म-विकास की विधि के साथ) सच एवं यूक्तिसम्मत अध्यात्मवाद से हल किया जा सकता है।

सबसे पहले हम 'महाधर्म' क्या है कि समझना होगा। हकीकत में,'महाधर्म' किसी भी धर्म के साथ तुलनीय नहीं है। बिश्वास और ईश्वर इसके मुख्य आधार नहीं है। 'महाधर्म' किसी भी धर्म के साथ खिलाफ या पक्ष मे नहीं है। 'महाधर्म' वर्तमान धर्मों से पूरी तरह से अलग है। इसके बारे में कह रही लायक है -- 'तुम एक इंसान के रूप में पैदा हूया है, इसलिए पूरी तरह से विकसित इंसान बनना, तूमहारे अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। ये ही है 'महाधर्म' ।'
 
सहि आत्म-विकास कार्यक्रम('महामनन' 'महाधर्म' के व्यावहारिक पहलुओं) के मार्ग का अनुसरण कर उचित मानव-विकास हमारी प्राथमिक धर्म है। ये एक नया धर्म नहीं है-ये हमारे सनातन धर्म हैं। यह लंबे समय तक हमारी अज्ञानता के लिए छिपा हुआ था। हम हमारे जीवन का मूल उद्देश्य --पूरी तरह से विकसित इंसान बनने का उद्देश्य भूल कर, एक मोहावस्था में रह रहे हैं। जो योग महा भक्ति के साथ ('महा आत्म - विकास-योग' या 'महामनन') अभ्यास करने से,हम पूरी तरह से विकसित इंसान बन सकते है वही 'महाधर्म' है। 'महाधर्म' मनुष्य द्वारा बनाई गई और मानव विकास के लिए बनाया गया है।
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