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महर्षि महामानस प्रवचन (भाग-४)

  • mahadharma
  • Sep 14, 2019
  • 1 min read

एक इंसान के रूप में, जो है आपके मुख्य कर्तव्य कर्म, वोही है मानवधर्म। और, यह मानवधर्म का आकार है 'महाधर्म'। मानवधर्म ही महाधर्म। ~महर्षि महामानस



कोई और नहीं, अज्ञानता और उससे से पैदा हुआ अंधापन ही हमारा असली दुश्मन है।

~महर्षि महामानस



अपने हर दिन को नए विचारों और नई उत्साह के साथ आने दें। हर दिन खुद को तोड़कर और बनाकर, धीरे-धीरे नया बेहतर जीवन प्राप्त करें। ~महर्षि महामानस


जहां मूर्ख लोगों की संख्या अधिक है, जो देश और लोगों की वास्तविक भलाई के लिए निस्वार्थ रूप से काम करता है, वहां उसे उचित मर्यादा नहीं मिलता है। जो झूठ और धोखे से लोगों को भटकाता है, उसे उच्च सम्मान मिलता है। ~महर्षि महामानस




 
 
 

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