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महर्षि महामानस प्रवचन (भाग-९)



पंक के अंदर रह कर, अपने आप को और अन्य लोगों को साफ नहीं किया जा सकता है।

और, जो व्यक्ति किसी तरह पंक कि गड्ढे से उठ गया, वह कभी भी पंक कि गड्ढे मे नहीं जाता।

यदि कोई पंक कि गड्ढे से छुटकारा चाहता है, तो केवल उसकी मदद की जा सकती है।

यदि आप उन लोगों को मुक्त करने की कोशिश करते हैं जो पंक में ही सहज हैं, तो वे आपको पंक कि गड्ढे में वापस खींच लेंगे।

तो, साधु सावधान!


~महर्षि महामानस





सिर्फ दिखने में नहीं, मन भी इंसान जैसा होना चाहिए।


अन्य जीव अपने धर्म के साथ ही पैदा होते हैं, लेकिन मनुष्य, जन्म के साथ कुछ मानवधर्म प्राप्त होते हुए भी, उसे बहुत सारे मानवधर्म हासिल करना पढता हैं। तभी वह पूर्ण मानव बन सकते है।

। । मानव धर्म ही महाधर्म। ।


'मानवधर्म' वह धर्म है जो पूर्ण विकसित मानव बनने के लिए आवश्यक है। लगभग भूली हुई मानवधर्म को पुनर्स्थापित करने के लिए नया धर्म, जिसे महाधर्म नाम में जाना जाता है, उभरा है।


~महर्षि महामानस

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