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मुक्त-मना का स्वरूप (स्वतंत्र आदमी कौन है?)

  • mahadharma
  • Sep 14, 2019
  • 3 min read

मुक्त-मना का स्वरूप (स्वतंत्र आदमी कौन है?) ~महर्षि महामानस


मुक्त-मना का अर्थ है~ खुले मन के वयक्ति, अर्थात स्वतंत्र विचार वाले मुक्त-चिंतक व्यक्ति।

सभी प्रभाव से मुक्त, पूरी तरह से स्वाधीन--- एक स्वस्थ और जागृत-सचेतन मन ही वास्तविक मुक्त मन है। लेकिन वास्तव में ऐसा मिलना लगभग असंभव है, इसलिए, अधिकांश भाग मे, प्रभाव मुक्त, आत्म-नियंत्रित, स्वस्थ ---और खुले मनके व्यक्ति को हम मुक्तमना कहते हैं।


भले ही यह मन किसी चीज से प्रभावित होने पर भी, जल्दी से वह खुद को इससे अधिकांश मुक्त करने में सक्षम है। जो अपने (मन की) स्थिति को समझता है --- वह अपने को (मन को) देख सकता है ---ऐसे आत्म-चेतन मन ही --- मुक्त मन हैं।


वह जो जितना ज्ञानी-- बुद्धिमान है और जिसका चेतन मन (conscious mind) अधिक विकसित है, वह उतना ही स्वाधीन और स्वतंत्र हैं। वह मन मुक्त मन है, जिसके पास पर्याप्त ज्ञान और चेतना है, और ज्ञान--- चेतना को अधिक से अधिक बढाने के लिए, --- हमेशा अपने स्वयं के विकास के लिए प्रयास करता है।

जैसे-जैसे ज्ञान और चेतना बढ़ती जाएगी, हमारे मन वैसे प्रभाव-मुक्त स्वतंत्र होते जाएगे। यह प्रभाव केवल बाहरी नहीं है, बल्कि आंतरिक भी है। भीतर की सहजात वृत्ति--- मजबूत अन्धविश्वास, मोह-माया, झुटे-अहंकार आदि से मुक्त होने पर ही--- वह मुक्तमना हो जाते हैं।


थोड़े से ज्ञान और चेतना के साथ मन को चलना पड़ता है --- विश्वास, अंधी भावनाओं और कल्पना की मदद से, और कुछ सामान्य तर्क के साथ।


अगला उच्च चेतन मन--- जब तक इसका उच्चतम विकास नहीं होता, तब तक यह लगभग निष्पक्ष तर्क और उसके आधारित कल्पना के रास्ते पर, यथासंभव प्रभाव मुक्त होकर आगे बढते है।


यह सच नहीं है कि मुक्त-मना का अर्थ है कि वह नास्तिक होगा। फिर, अगर कोई नास्तिक खुद को मुक्त-मना कहता है, तो यह भी सही नहीं है।


किसी के विश्वास के साथ कोई आदमी सहमत नहीं होने से, वह नास्तिक नहीं बन जाता। नास्तिक कभी मुक्त-मना नहीं हो सकते। क्योंकि नास्तिक का अर्थ है कि वह किसी अन्य दर्शन या सिद्धांत में दृढ़ विश्वास रखता है।


'विश्वास' शब्द मुक्त-मना के खाते में नहीं है। वह आगे बढ़ता है --- स्पष्ट सत्य (seemingly truth) को पकड़े हुए, पूर्ण सत्य के उद्देश्य मे।

तर्क, निर्णय के माध्यम से भी वह ईश्वर के अस्तित्व को महसूस कर सकता है।

यदि वह सत्य-सन्धानी होकर आत्मज्ञान लाभ करने के लिए, और जीवन के रहस्य उन्मोचन करनेके लिए (मैं कौन --- क्यों --- कहाँ से - कहाँ तक---) ब्रती होता हैं। यदि वह ईमानदारी से अपना मूल की तलाश कर रहे हैं, स्वाभाविक रूप से, उनके ईश्वर और आम आदमी के विश्वास आधारित ईश्वर या देवता कभी एक समान नहीं होंगे।


वास्तविक मुक्त-मना बहुत ही उन्नत मन कि विकसित दिमाग वाले लोग होते हैं। पर्याप्त ज्ञान और चेतना के विकास के कारण, वह मोह-माया और अंधविश्वास के बंधनों से मुक्त होते है।

एक मुक्त-मना कभी भी आत्म-विकास या मन-विकास कि रास्ते से बाहर नहीं जा सकता है, वह मानवधर्म और मानवता को अस्वीकार नहीं कर सकते हैं।


मुक्त-मना का मतलब सामाजिक व्यवस्था की बाधा-बन्धन, मानवता की जिम्मेदारी से मुक्त आदमी नहीं हैं। जब तक चेतना के पूर्ण विकास नहीं हुई, किसी के लिए भी सांसारिक या जागतिक बंधनों से पूरी तरह मुक्त होना संभव नहीं है।


हम एक बहुत ही शिशु को या एक बच्चे जैसे चेतना कि व्यक्ति को, या एक अस्फुट-दिमाग वाले व्यक्ति को मुक्त-मना नहीं कह सकते। किसी मानसिक बीमार व्यक्ति को भी मुक्त-मना नहीं कहा जा सकता है।

चूंकि वास्तविक मुक्त-मना लोगों को अक्सर नहीं देखा जाता है, कई लोग गलत धारणाओं के अधीन होकर सोचते हैं कि वे मुक्त-मना लोग हैं। वास्तव में मुक्त-मना होने के लिए, बहुत सारे उन्नत दिमाग-- बहुत विकसित दिमाग वाले लोग होने चाहिए।


मन और चेतना के विकास का मार्ग ही जीवन के मार्ग है। पूरे मन का विकास ही हमारे जीवन का मुख्य लक्ष्य है।




 
 
 

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