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कर्मफल!

कर्मफल! ~महर्षि महामानस


पूर्व जन्म और पूर्व जन्म के कर्मफल। यह धर्म का पिंजरे का एक फंदा है।

कर्मफल, जैसा कि वास्तव में होता है, किसी व्यक्ति के माता-पिता और उनके जीन के साथ संबंधित पूर्वजों का ज्ञान -- अनुभव --- चेतना, दृष्टिकोण, बीमारी और उनके कार्यों के परिणाम, जो उनके जीन के माध्यम से वंशजों को संक्रमित होता है।


इतना ही नहीं, हमें अपने आस-पास के लोगों और उनके कार्यों के फल या परिणाम भी कम-ज्यादा हमें भोग करना पढ़ता है।


हर कर्म कुछ फल पैदा करती है। वह कर्मफल केवल कर्मकर्ता को ही भोग करना पढ़ेगा, ऐसा नहीं। यह अन्य लोगों को भी भोगना पढता है।


फिर, कर्मकर्ता उस कर्म का फल नहीं भी भोग कर सकते। किसे, क्या, कितना भोगना है, सब कुछ पारंपरिक घटनाओं पर निर्भर करता है।


और, हमारा सौभाग्य-दुर्भाग्य के लिए पूर्व जन्म के कर्मफल जिम्मेदार नहीं है। 'भाग्य' हमारे कार्यों और कार्यों का फल या परिणाम का निर्माता है।

हमने पहले भाग्य पर चर्चा की है। भाग्य के बारे में मेरा लेखन पढ़ें।




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