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महर्षि महामानस प्रवचन (भाग-७)


जो अपने वास्तविक आत्म-परिचय को नहीं जानते, जिसके पास आत्मज्ञान और आत्मोपलब्धि नहीं है, जिसमें आत्म-जिज्ञासा, आत्म-अनुसंधान भी नहीं है, उसके लिए ज्यादा दूर आगे अग्रसर होना संभव नहीं है। उसे अज्ञानी-अंधे की तरह मोहमाया की भूलभुलैया में बारबार घुमना पड़ेगा।

~ महर्षि महामानस



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